बहते जाना बहते जाना है
दर्द ही दर्द है सहते रहना
सहते जाना है
तेरे होते दर्द नहीं था
दिन का चेहरा ज़र्द नहीं था
तुमसे रूठ के मरते रहना
मरते रहना है
तेरी सीमाए......
मैं आधी अधूरी बैठी किनारे
नदिया-नदिया आंसू आंसू रोना है
बातों पे रोना नैनो की जुबानी
रात दिन कहते रहना है
आग अन्दर की कोई न देखे
पलक झपकते तुम जो देखो
तुझको पाना तुझको छूना
मुक्ति का पाना है
vah keya lekha hai
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