कह रही है तुमसे ये खामोशियाँ
सीखो न लैब तो न खोलूंगी मै
समझो दिल की बोली
सीखो न..........
सुनना सीखो उन हवा को
स न न सन स न न सन कहती है क्या
पढना सीखो सलवटों को
माथे पे ये बलखा के लिखती है क्या
आहटों की है अपनी जुबा
इनमे भी है इक दास्ताँ
जाओ जाओ जाओ जाओ पिया
सीखो न ........
ठहरे पानी जैसा लम्हा
छेड़ो न इसे हिल जायेंगी गहराइयां
ग़म की साँसों के शहर में
देखो तो ज़रा बोलती है क्या परछाइयां
कहने को अब बाक़ी है क्या
आँखों ने सब कह तो दिया
हाँ जाओ जाओ जाओ जाओ पिया
खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं