भूपेंद्र
आवाज़ दी है आज एक नज़र ने या है ये दिल को गुमांदोहरा रही है सारी फिजायें भूली हुई दास्ताँ
आशा
लौट आई है फिर रूठी बहारें कितना हसीं है समां
दुनिया से कह दो न हमको पुकारे कि हम खो गए है यहाँ
भूपेंद्र
जीवन में कितनी वीरानियाँ थी छाई थी कैसी उदासी
सुनकत किसी के कदमो कि आह्ट हलचल हुई है ज़रा सी
सागर में जैसे लहरें उठी है टूटो है खामोशियाँ
दोहरा रही है सारी फिजायें भूली हुई दास्ताँ
आशा
तूफां में खोई कश्ती को आखिर मिल ही गया है किनारा
हम छोड़ आये ख़्वाबों कि दुनिया दिल ने तेरे जब पुकारा
कब से कड़ी थी बाहें पसारे इस दिल कि तन्हाइयां
दुनिया से कह दो न हमको पुकारे कि हम खो गए है यहाँ
भूपेंद्र
अब याद आया कितना अधूरा अब तक था दिल का फ़साना
आशा
यूं पास आके दिल में समाके दामन न हमसे छुडाना
जिन रास्तों पर तेरे कदम हो मंजिल है मेरी वहाँ
दुनिया से कह दो न हमको पुकारे कि हम खो गए है यहाँ
लौट आई है फिर रूठी बहारें कितना हसीं है समां
दुनिया से कह दो न हमको पुकारे कि हम खो गए है यहाँ
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