बड़ी धीरे जली … रैना
धुआं धुआं नैना आ ..
बड़ी धीरे जली … रैनाधुआं धुआं नैना आ ..
धुआं धुआं नैना आ ..
रातों से हौले हौले …
खोली है किनारे
अखियों ने तागा तागा …
भोर उतारी
खारी अखियों से,
धुआं जाए न
बड़ी धीरे जली … रैनाखोली है किनारे
अखियों ने तागा तागा …
भोर उतारी
खारी अखियों से,
धुआं जाए न
धुआं धुआं नैना आ ..
पलकों पे सपनों की, अग्नि उठाये
हमने तो अखियों के , आलने जलाये
दर्द ने कभी लोरियां सुने तो
दर्द ने कभी नींद से जगाया रे
बैरी अखियों से न जाए धुआं जाए न
बड़ी धीरे जली … रैनादर्द ने कभी नींद से जगाया रे
बैरी अखियों से न जाए धुआं जाए न
धुआं धुआं नैना आ ..
जलते चरागों में अब नींद न आये
फूंकों से हमने ..सभी तारे बुझाये
जाने क्या खोली, रात की पिटारी से
खोला तो कोई , भोर की किनारी रे
सूजी अखियों से , न जाए धुआं जाए न
बड़ी धीरे जली … रैनाखोला तो कोई , भोर की किनारी रे
सूजी अखियों से , न जाए धुआं जाए न
धुआं धुआं नैना आ ..
अति सुन्दर...आभार आपका...
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