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SWAMI VIVEKANAND SAID:



"TALK TO YOURSELF ATLEAST ONCE IN A DAY
OTHERWISE
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बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

देश दशा

रक्त-रंजित ये देश कैसे ये तरुण - अरुण भयभीत कैसे
नारी अस्मिता संकट में कैसे इन प्रश्नों के उत्तर कहाँ

राज नेतायों के प्रपंच कैसे बढे अपराधिओं के हिम्मत है कैसे
ये संस्कारों का ह्रास कैसे इन प्रश्नों के उत्तर कहाँ

ये सृजन शक्ति का अपमान कैसा ये सभ्यता का परिहास कैसा
दायित्व  ये हमारा ही है चेतना जगाएं हम यहाँ

इन सवालों का जवाब देश के जो है नवाब
यदि उनमे जागृत हो सतर्कता तो डर नहीं है क्यों ज़नाब ? 

हम आत्म मंथन तो करें देखे तो अपना योगदान
अपने को जागृत करके ही गढे हम नया हिन्दोस्ताँ

2 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी सोच को लिए अच्छी रचना ....आत्मा मंथन की जगह शायद आत्म मंथन होना चाहिए था .

    जवाब देंहटाएं
  2. निःशब्द हूँ मैं... वाकई आत्म मंथन की बहुत आवश्यकता है...

    जवाब देंहटाएं

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