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SWAMI VIVEKANAND SAID:



"TALK TO YOURSELF ATLEAST ONCE IN A DAY
OTHERWISE
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मंगलवार, 28 जून 2011

kashmakash...gulzar

तेरी सीमाए कोई नही है 
बहते जाना बहते जाना है 
दर्द ही दर्द है सहते रहना 
सहते जाना है 

तेरे होते दर्द नहीं था 
दिन का चेहरा ज़र्द नहीं था 
तुमसे रूठ के मरते रहना 
मरते रहना है 
तेरी सीमाए......

मैं आधी अधूरी बैठी किनारे 
नदिया-नदिया आंसू आंसू रोना है 
बातों पे रोना नैनो की जुबानी 
रात दिन कहते रहना है 

आग अन्दर की कोई न देखे 
पलक झपकते तुम जो देखो 
तुझको  पाना तुझको  छूना 
मुक्ति  का पाना है 

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