गुलज़ार जी के जन्म दिन पर विशेष प्रस्तुति
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SWAMI VIVEKANAND SAID:
"TALK TO YOURSELF ATLEAST ONCE IN A DAY
OTHERWISE
YOU MAY MISS A MEETING WITH AN EXCELLENT PERSON IN THIS WORLD".........
गुरुवार, 18 अगस्त 2011
प्यार वो बीज है - A brilliant poem from Aastha by Gulzar
रविवार, 14 अगस्त 2011
मेरे गोपन निर्जन ह्रदय में মোর হৃদয়ের গোপন বিজন ঘরে
अकेले हो तुम नीरव शयन में- একেলা রয়েছ নীরব শয়ন প'রে-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
रुद्ध द्वार के बाहर खडी हूँ मैं রুদ্ধ দ্বারের বাহিরে দাঁড়ায়ে আমি
कबतक काटेंगे ऐसे दिन प्रिये- আর কতকাল এমনি কাটিবে স্বামী-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
रजनी-तारका गगन में है छाया, রজনীর তারা উঠেছে গগন ছেয়ে,
अकेले हो तुम नीरव शयन में- একেলা রয়েছ নীরব শয়ন প'রে-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
रुद्ध द्वार के बाहर खडी हूँ मैं রুদ্ধ দ্বারের বাহিরে দাঁড়ায়ে আমি
कबतक काटेंगे ऐसे दिन प्रिये- আর কতকাল এমনি কাটিবে স্বামী-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
रजनी-तारका गगन में है छाया, রজনীর তারা উঠেছে গগন ছেয়ে,
मेरे वातायन पर मैंने सबकी दृष्टि है पाया আছে সবে মোর বাতায়ন-পানে চেয়ে-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
मेरे जीवन को संगीत से भर दो জীবনে আমার সঙ্গীত দাও আনি,
वीणा-वाणी को तुम नीरव न रख दो নীরব রেখো না তোমার বীণার বাণী-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
मिलायेंगे ये नयन तुम्हारे नयनो के साथ,মিলাবো নয়ন তব নয়নের সাথে,
दूँगी तुम्हारे हाथों में ये हाथ- মিলাবো এ হাত তব দক্ষিণহাতে-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
हृदयपात्र होगा अमृत से पूर्ण , হৃদয়পাত্র সুধায় পূ্র্ণ হবে,
गहरे प्रकाश-ध्वनि से तिमिर थर्थरायेगा তিমির কাঁপিবে গভীর আলোর प्रियतम हे, जागो जागो जागो || রবে-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
मेरे जीवन को संगीत से भर दो জীবনে আমার সঙ্গীত দাও আনি,
वीणा-वाणी को तुम नीरव न रख दो নীরব রেখো না তোমার বীণার বাণী-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
मिलायेंगे ये नयन तुम्हारे नयनो के साथ,মিলাবো নয়ন তব নয়নের সাথে,
दूँगी तुम्हारे हाथों में ये हाथ- মিলাবো এ হাত তব দক্ষিণহাতে-
प्रियतम हे, जागो जागो जागो || প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
हृदयपात्र होगा अमृत से पूर्ण , হৃদয়পাত্র সুধায় পূ্র্ণ হবে,
गहरे प्रकाश-ध्वनि से तिमिर थर्थरायेगा তিমির কাঁপিবে গভীর আলোর प्रियतम हे, जागो जागो जागो || রবে-
প্রিয়তম হে, জাগো জাগো জাগো ।।
शुक्रवार, 12 अगस्त 2011
भाई-बहन के आपसी सद्भाव को बढ़ाती रक्षाबंधन के पर्व पर प्रस्तुत है भाव पूर्ण गीत
अब के बरस भेज भइया को बाबुल सावन ने लीजो बुलाय रे लौटेगी जब मेरे बचपन की सखियाँ देजो सदेशा भिजाय रे अब के बरस भेज भइया को बाबुल ... अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेगे रिमझिम पड़ेगी फुहारे लौटेगी फिर तेरे आँगन में बाबुल सावन की ठंडी बहार रे छलके नयन मोरा कसके रे जियरा बचपन की जब याद आए रे अब के बरस भेज भइया को बाबुल ... बैरन जवानी ने छीने खिलौने और मेरी गुडिया चुराई बाबुल की मै तेरे नाजो की पाली फिर क्यों हुई मै पराई बीते रे जग कोई चिठिया न पाती न कोई नैहर से आये , रे अब के बरस भेज भइया को बाबुल ...
पेश है एक और भावपूर्ण गीत
गुरुवार, 4 अगस्त 2011
उन पुराने दिनों.......ravindra sangeet
उन पुराने दिनों की बातें हाय कैसे भूल पाओगे পুরানো সেই দিনের কথা ভুলবি কি রে হায়।
वो आँखों में झांकना ,दिल की बातें करना वो कैसे भूल पाऊँ ও সেই চোখে দেখা, প্রাণের কথা, সে কি ভোলা যায়।
आओ और एकबार आओ हे सखा ह्रदय में समा जाओ আয় আর একটিবার আয় রে সখা, প্রাণের মাঝে আয়।
हम सुख-दुःख की बातें करें जी भर कर आओ মোরা সুখের দুখের কথা কব, প্রাণ জুড়াবে তায়।
वो हमारा भोर बेला में फूल चुनना , झूला झूलना মোরা ভোরের বেলা ফুল তুলেছি, দুলেছি দোলায়--
बकुल के पेड़ के नीचे बंसी बजाकर गाना सुनाना বাজিয়ে বাঁশি গান গেয়েছি বকুলের তলায়।
फिर कुछ दिनों के लिए हुए अलग गए कौन कहाँ হায় মাঝে হল ছাড়াছাড়ি, গেলেম কে কোথায়--
अब फिर से हम मिले हैं सखा आओ प्राण में समा जाओ আবার দেখা যদি হল, সখা, প্রাণের মাঝে আয়॥
अरुणकांत जोगी भिखारी -nazrul giti
अरुणकांत जोगी भिखारी तुम हो कौन অরুণকান্তি কেগো যোগী ভিখারী।
नीरव हास्य लिए तुम द्वार पर आये নীরবে হেসে দাঁড়াইলে এসে
प्रखर तेज तव न जाए निहारी প্রখর তেজ তব নেহারিতে নারি।
रास-विलासिनी मई आहिरिणी রাস-বিলাসিনী আমি আহিরিণী
तव श्यामल-किशोर-रूप ही पहचानूं শ্যামল-কিশোর-রূপ শুধু চিনি
आज अम्बर में ये कैसा ज्योति पुंज है पसरा অম্বরে হেরি আজ একি জ্যোতি-পুঞ্জ?
हे गिरिजापति गिरिधारी तुम हो कहाँ হে গিরিজাপতি! কোথা গিরিধারী।
अम्बर-अम्बर महिमा तव छाया সম্বর সম্বর মহিমা তব
हे!ब्रजेश भैरव ! मैं ब्रजबाला হে ব্রজেশ ভৈরব! আমি ব্রজবালা,
हे! शिव सुन्दर व्याघ्र-चर्म धारी হে শিব সুন্দর! বাঘছাল পরিহর-
धर नटवर वेश पहनो नीपमाला ধর নটবর বেশ পর নীপমালা।
नव मेघ चन्दन से छुपा लो अंग ज्योति নব-মেঘ-চন্দনে ঢাকি’ অঙ্গগজ্যোতি
प्रिय बन दर्शन दो हे! त्रिभुवन पति প্রিয় হ’য়ে দেখা দাও ত্রিভুবন-পতি,
प्रिय बन दर्शन दो हे! त्रिभुवन पति প্রিয় হ’য়ে দেখা দাও ত্রিভুবন-পতি,
मैं नहीं हूँ पार्वती , मैं श्रीमती পার্ব্বতী নহি আমি, আমি শ্রীমতী,
विष तज कर बनो बांसुरी धारी বিষাণ ফেলিয়া হও বাঁশরী-ধারী।।
अहीर भैरव /त्रिताल আহীর ভৈরব / ত্রিতালमंगलवार, 2 अगस्त 2011
तुम्हे नहीं मिला मेरा परिचय - ravindra sangeet
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तुम्हे नहीं मिला मेरा परिचय
जानो जिसे तुम वो नहीं हूँ मैं
जो माला पहनाया तुमने ,सूखे वो पल पल में
प्रकाश भी सहमा जाय ,
वायु-स्पर्श भी न सहा जाय ,
आओ-आओ विषाद जलाओ शिखा
मेरे मस्तक में लगाओ अग्निमयी टीका
मरण आये चुपके से परम प्रकाश रूप में
सभी आवरण से हो जाऊं मुक्त
और सभी पराजय का हो जाय अंत ||
তুমি মোর পাও নাই পরিচয়।आओ-आओ विषाद जलाओ शिखा
मेरे मस्तक में लगाओ अग्निमयी टीका
मरण आये चुपके से परम प्रकाश रूप में
सभी आवरण से हो जाऊं मुक्त
और सभी पराजय का हो जाय अंत ||
তুমি যারে জান সে যে কেহ নয়, কেহ নয়॥
মালা দাও তারি গলে, শুকায় তা পলে পলে,
আলো তার ভয়ে ভয়ে রয়--
বায়ুপরশন নাহি সয়॥
এসো এসো দুঃখ, জ্বালো শিখা,
দাও ভালে অগ্নিময়ী টিকা।
মরণ আসুক চুপে পরমপ্রকাশরূপে,
সব আবরণ হোক লয়--
ঘুচুক সকল পরাজয়॥
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