अब के बरस भेज भइया को बाबुल सावन ने लीजो बुलाय रे लौटेगी जब मेरे बचपन की सखियाँ देजो सदेशा भिजाय रे अब के बरस भेज भइया को बाबुल ... अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेगे रिमझिम पड़ेगी फुहारे लौटेगी फिर तेरे आँगन में बाबुल सावन की ठंडी बहार रे छलके नयन मोरा कसके रे जियरा बचपन की जब याद आए रे अब के बरस भेज भइया को बाबुल ... बैरन जवानी ने छीने खिलौने और मेरी गुडिया चुराई बाबुल की मै तेरे नाजो की पाली फिर क्यों हुई मै पराई बीते रे जग कोई चिठिया न पाती न कोई नैहर से आये , रे अब के बरस भेज भइया को बाबुल ...
पेश है एक और भावपूर्ण गीत
rakhi ke avsar par steek geet ka chayan , badhai
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही भावुक रचना लिखी है . अबकी बरस भैया जरुर आयेंगे. रक्षाबंधन की शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लोकगीत प्रस्तुत करने के लिये वधाई।
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