मुझे उस पार…. नहीं जाना ………..क्योंकि इस पार …
मैं तुम्हारी संगिनी हूँ ……..उस पार निस्संग जीवन है
स्वागत के लिए ……………इस पार मैं सहधर्मिणी
कहलाती हूँ ……..मातृत्व सुख से परिपूर्ण हूँ………………..
माता – पिता है …..देवता स्वरुप …….पूजने के लिए
उस पार मै स्वाधीन हूँ ………पर स्वाधीनता का
रसास्वादन एकाकी है……….. गरल सामान……..
इस पार रिश्तों की पराधीनता मुझे ……………….
सहर्ष स्वीकार है…………इस पार प्रिये तुम हो
कहलाती हूँ ……..मातृत्व सुख से परिपूर्ण हूँ………………..
माता – पिता है …..देवता स्वरुप …….पूजने के लिए
उस पार मै स्वाधीन हूँ ………पर स्वाधीनता का
रसास्वादन एकाकी है……….. गरल सामान……..
इस पार रिश्तों की पराधीनता मुझे ……………….
सहर्ष स्वीकार है…………इस पार प्रिये तुम हो
" इस पार रिश्तों का स्वाधीनता मुझे ……………….
जवाब देंहटाएंसहर्ष स्वीकार है………… " ye smajh men naheen aaya . pls samjhayen...
- vijay
maafi chahtii hoon ise swaadhiinta ke bajay paraadhiinta padhe ...........blog visit karne ke liye dhanyavaad
जवाब देंहटाएंपरंपरा में जीना ... अगर बंधन है, पराधीनता है तो पाश्च्चात्य स्भ्यता और संस्कृति से ली गई सौ स्वाधीनता/स्वतंत्रता से अच्छा है। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
जवाब देंहटाएंपक्षियों का प्रवास-१
इस पार प्रिये तुम हो.... अच्छा लगा!
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