आसमान में बादल छाया
छुप गया सूरज शीतल छाया
मेरे इस उद्वेलित मन ने
कविता रच डाली
कारी बदरी मन भरमाया
मन-मयूर ने पंख फैलाकर
कविता रच डाली
गीली मिटटी की खुश्बू से
श्यामल-श्यामल सी धरती से
मन के अन्दर गीत जागा और
कविता रच डाली
ये धरती ये कारी बदरी
मन को भरमाती ये नगरी
उद्वेलित कर गयी इस मन को और मैंने
कविता रच डाली
कविता रचने के कारण पसंद आये सुंदर रचना के लिए बधाई
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