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SWAMI VIVEKANAND SAID:



"TALK TO YOURSELF ATLEAST ONCE IN A DAY
OTHERWISE
YOU MAY MISS A MEETING WITH AN EXCELLENT PERSON IN THIS WORLD".........

बुधवार, 8 सितंबर 2010

अनुमति दो माँ ..........

चरण-स्पर्श का अनुमति दो माँ 
चरणों से दूर मुझे मत करो 

           ये अधिकार मुझे जन्म से ही मिला है 
इस अधिकार को मत हरो 

ऐसा क्या अनर्थ हुआ है मुझसे 
कि आपने मूंह फेर लिया 

नौ महीने मुझे गर्भा में स्थान दिया 
पर दुनिया में लाकर त्याग दिया 

माना कि गलती थी मेरी 
आपका सुध मैंने नही लिया 

पर माँ कि ममता नही होता क्षण-भंगुर 
कभी त्याग दिया कभी समेट लिया 

माना मै हूँ स्वार्थ का मारा 
माँ की ममता न पहचान पाया 

पर आप ने भी तो अधिकार न जताया 
मुझे पराया घोषित कर दिया 

अब मेरी बस इतनी इच्छा है 
आप की गोद में मैं वापस आऊँ 

अपने संतान से जब आहत हुआ ये मन 
लगा माँ की गोद में ही सिमट जाऊं 

6 टिप्‍पणियां:

  1. अंतर्मन के सच्चे उदगार

    जवाब देंहटाएं
  2. आप ने बहुत ही सुन्दर लिखा है | धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  3. अपने संतान से जब आहत हुआ ये मन
    लगा माँ की गोद में ही सिमट जाऊं

    भाव सुंदर...कुछ खामियां हैं....ध्यान दीजिएगा

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूब........शानदार अभिव्यक्ति लिए है ये कविता ...........भावों को सुन्दर ढंग से पिरोया है आपने ........शुभकामनाये |


    कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
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    एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये

    जवाब देंहटाएं
  5. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं

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