पेड़ के पीछे से
झरनों के नीचे से
नदियों के किनारे से
बागियों के दामन से
पहाड़ों की ऊँचाई से
नाम तेरा पुकारूं
झरनों के नीचे से
नदियों के किनारे से
बागियों के दामन से
पहाड़ों की ऊँचाई से
नाम तेरा पुकारूं
पेड़ो से टकराकर
झरनों से लिपटकर
नदियों से बलखाकर
बागियों को महकाकर
पहाडो की वादियों से
नाम तेरा गूंजे
तुझे कई बार सुनाई दे
झरनों से लिपटकर
नदियों से बलखाकर
बागियों को महकाकर
पहाडो की वादियों से
नाम तेरा गूंजे
तुझे कई बार सुनाई दे
बागियों को महकाकर
जवाब देंहटाएंपहाडो की वादियों से
नाम तेरा गूंजे
तुझे कई बार सुनाई दे
....सच में चाहत की कोई सीमा नहीं...
बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत खूबसूरत भावों को समेटे अच्छी रचना
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